अनकहा रिश्ता, बिल्कुल मेरे तुम्हारे प्रेम सा। अनकहा रिश्ता, बिल्कुल मेरे तुम्हारे प्रेम सा।
बचपन पर से धूल पोंछ रहा था, ऐ ख़ुदा शुक्र तेरा तूने मेरा बचपन फिर लौटा दिया। बचपन पर से धूल पोंछ रहा था, ऐ ख़ुदा शुक्र तेरा तूने मेरा बचपन फिर लौटा दिय...
घर मे खिलखिलाती मुुस्कुराहट का न होना बहुत याद आता है मुझे घर मे खिलखिलाती मुुस्कुराहट का न होना बहुत याद आता है मुझे
बचपन गुजरा, आयी जवानी। अब इस घर से हुई रवानी।। बचपन गुजरा, आयी जवानी। अब इस घर से हुई रवानी।।
कितनी सुन्दर रचना है तेरी, इस जहाँ में सबसे सुंदर बिटिया है मेरी।। कितनी सुन्दर रचना है तेरी, इस जहाँ में सबसे सुंदर बिटिया है मेरी।।
कहीं तो बस नाम के हैं रिश्ते और बेटियां बोझ समझी जाती हैं। कहीं तो बस नाम के हैं रिश्ते और बेटियां बोझ समझी जाती हैं।