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Dr.Deepak Shrivastava

Abstract

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Dr.Deepak Shrivastava

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आजादी

आजादी

2 mins
335


समय बदल गया है

आज जिधर देखो उधर

आजादी का डंका

 बज रहा है

स्त्रियों को घर की

रिश्तों की

रस्मों रिवाजों

से आजादी

पहनने ओढ़ने

खाने पीने की

आजादी

खूंटे से बँधी

बछिया को

चार पैरों की

अनपढ़ स्त्री को

पढ़ी लिखी का

मुँह ताकने

शहर की लड़की को

एकांत में नग्न

नृत्य करने

स्त्री पर लिखी

पुस्तकों को

जमीन पर

आने की

पुस्तकों में स्त्री

को तलाशने

अंग वस्त्रों को

दुपट्टे से

काम करने वाली

स्त्री को

कमर सीधे

करने के

लिए नर्म

बिस्तर

एक वेश्या को

दिन में काम

करने की आजादी

सभी की

आजादी चाहिए

स्त्री को किसने

रोका है

समय बदल गया है

जमाना बदल गया है

लिखने वाले किस

ज़माने की बात करते है

ये जमाना बदल गया है

भारत वर्ष में पूर्व में भी

स्त्रियां राजाओं

 के साथ एक

ही सिंहासन पर

आसीन हो कर

 राज करती थी

बराबर से काज.

 करती थीं

देवताओं में ही कहीं

कोई भेदभाव नहीं है

शिव पार्वती

राधा कृष्ण

राम सीता

दुर्गा, भवानी

सरस्वती क्या नहीं

स्त्रियों का दर्पण

लक्ष्मी बाई

अहिल्या बाई

ज्योति बाई फुले

सभी ने अपना

कार्य आजादी

से किया

कहीं कोई

बंदिश नहीं

कहीं कोई

दीवार नहीं

इसी को कहते

 आजादी

वर्तमान स्त्रियों की

 आजादी का अभूतपूर्व

काल है

जहां देखो वहां

 स्त्रियां कार्यरत हैं

सेना, दफ़्तर, बैंक्स

व्यापार कहाँ नहीं

स्त्री का साम्राज्य

हर व्यवसाय में स्त्री

अपना अस्तित्व

दर्शा रही है

पढ़ाई में लिखाई में

गांव शहर हर जगह

स्त्री पढ़ाई जा रही है

महीने के कपड़े से

भी मुक्त

हो रही है

घरों में भी स्त्रियां

आजाद हैं

नहीं कोई बंदिश

कांधे पे बैग लेकर

शॉपिंग माल स्त्रियों

से भरे रहते हैं

होटलों में रेस्तराँओं में

सिनेमा हालों में

बाग बगीचा में

लड़कों के गले में

 हाथ डाले

हाथों में हाथ लिए

गले मिलते हुए

एक दूसरे का चुम्बन

लेते हुए मिल जाएंगी

ओर कितनी आजादी

ईश्वर ने सुन्दर बनाया

सुकोमल बनाया

सुडोल बनाया

शक्ति शाली बनाया

पुरुष तुच्छ प्राणी

कुछ नहीं पाया

स्त्री के आगे

 नत मस्तक

हो कर जीवन

बिताया

स्त्री ने

गृह लक्ष्मी

राज लक्ष्मी

का दर्जा पाया

महारानी का पद

प्रधानमंत्री

राष्ट्रपति का

पद पाया

इससे ज्यादा

और किस

बात की आजादी

स्त्री आजाद थी

आजाद रही है

आजाद रहेगी


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