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Ashish Mishra

Abstract Inspirational

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Ashish Mishra

Abstract Inspirational

राम कविता नयी और पुरातन भी हैं

राम कविता नयी और पुरातन भी हैं

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राम कविता नयी और पुरातन भी हैं

राम आरंभ हैं और समापन भी हैं 


राम में नित सजे हैं सूरज नये

     राम हैं चंद्रमा और धीरज बड़े

राम हैं अर्चना, राम ही प्रार्थना

      राम रामे रमा, राम आराधना 

राम आलेख नव और सनातन भी हैं

राम कविता नयी और पुरातन भी हैं


राम इतना बहे, राम मन हो गये

     राम वन जो गये, राम ही हो गये

राम हैं जानकी, साधना सादगी

    राम हैं धीर की एक अलग बानगी

राम तीरथ पुराने और नूतन भी हैं 

राम कविता नयी और पुरातन भी हैं


राम शबरी हृदय में बसे दीप हैं 

      राम केवट हृदय में बने मीत हैं

राम अनुयायी हैं एक सरल भाव के 

    राम बल हैं जी अंगद धँसे पाँव के 

राम सुग्रीव के एक सरल मित्र हैं

     राम हनू में समाये कोई चित्र हैं 

राम आराध्य मेरे और अर्पण भी हैं 

राम कविता नयी और पुरातन भी हैं


राम को मानिए केवल नारा नहीं 

       राम की राह में कोई हारा नहीं 

राम लहरों पर चलना सिखा कर गए

       राम बिन नाव को है किनारा नहीं 

राम आदर्श पूँजी का रत्न हैं 

        राम जीवन भरा यत्न ही यत्न है 

राम में शील, संयम, समर्पण भी है 

राम कविता नयी और पुरातन भी हैं


राम आरंभ हैं और समापन भी हैं 

राम कविता नयी और पुरातन भी हैं



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