Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!
Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!

AJAY AMITABH SUMAN

Abstract Inspirational

4  

AJAY AMITABH SUMAN

Abstract Inspirational

वर्तमान से वक्त बचा लो : भाग :6

वर्तमान से वक्त बचा लो : भाग :6

2 mins
384


एक व्यक्ति का व्यक्तित्व उस व्यक्ति की सोच पर ही निर्भर करता है। लेकिन केवल अच्छा विचार का होना ही काफी नहीं है। अगर मानव कर्म न करे और केवल अच्छा सोचता हीं रह जाए तो क्या फायदा। बिना कर्म के मात्र अच्छे विचार रखने का क्या औचित्य? प्रमाद और आलस्य एक पुरुष के लिए सबसे बड़े शत्रु होते हैं। जिस व्यक्ति के विचार उसके आलस के अधीन होते हैं वो मनोवांछित लक्ष्य का संधान करने में प्रायः असफल ही साबित होता है। प्रस्तुत है मेरी कविता "वर्तमान से वक्त बचा लो" का षष्ठम और अंतिम भाग।


वर्तमान से वक्त बचा लो 

[भाग षष्ठम]


क्या रखा है वक्त गँवाने 

औरों के आख्यान में,

वर्तमान से वक्त बचा लो 

तुम निज के निर्माण में।


उन्हें सफलता मिलती जो 

श्रम करने को होते तत्पर,

उन्हें मिले क्या दिवास्वप्न में 

लिप्त हुए खोते अवसर?


प्राप्त नहीं निज हाथों में 

निज आलस के अपिधान में,

वर्तमान से वक्त बचा लो 

तुम निज के निर्माण में।


ना आशा ना विषमय तृष्णा 

ना झूठे अभिमान में,

बोध कदापि मिले नहीं जो 

तत्तपर मत्सर पान में?


मुदित भाव ले हर्षित हो तुम 

औरों के उत्थान में ,

वर्तमान से वक्त बचा लो 

तुम निज के निर्माण में।


तुम सृष्टि की अनुपम रचना 

तुममें ईश्वर रहते हैं,

अग्नि वायु जल धरती सारे 

तुझमें ही तो बसते हैं।


ज्ञान प्राप्त हो जाए जग का 

निज के अनुसंधान में,

वर्तमान से वक्त बचा लो 

तुम निज के निर्माण में।


क्या रखा है वक्त गँवाने 

औरों के आख्यान में,

वर्तमान से वक्त बचा लो 

तुम निज के निर्माण में।



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract