अब धन्यवाद उसको कैसे दूँ साहब जो मुझे नौ महीने पहले जानती है
अब धन्यवाद उसको कैसे दूँ साहब जो मुझे नौ महीने पहले जानती है
ना समझूँ तो समझा देती है,
रूठ जाऊं तो मना लेती है,
मेरी एक एक ख्वाइश पूरा करने के लिए
वह अपनी जान लगा देती है,
कभी जो आए मुशीबत जिंदगी में
तो सबसे पहले सामने वह खड़ी हो जाती है,
अब धन्यवाद उसको कैसे दूँ साहब
जो मुझे नौ महीने पहले जानती है।
आखिर में खाना परिवार में
आज भी वही खाती है,
चाहे जितना भी कष्ट हो उसे.. मुस्कुराहट
के पीछे वह उसको बखूबी छुपा लेती है,
गलती ना होने पर भी झुक जाना बडों के सामने
जो आज तक मुझे सिखाती है,
अब धन्यवाद उसको कैसे दूँ साहब
जो मुझे नौ महीने पहले जानती है।
कभी अगर बात बिगड़े
तो थोड़ा बहुत गुस्सा भी कर लेती है,
पर मेरे रोने से पहले
वह खुद ही रो देती है,
कभी डांट कर तो कभी प्यार से
वह अपना प्यार कुछ ऐसे ही जताती है,
अब धन्यवाद उसको कैसे दूँ साहब
जो मुझे नौ महीने पहले जानती है।
हमेशा खुदा के सामने खुद से पहले
मेरे लिए दुआ माँगती है,
बिस साल का हो गया हूँ,
पर आज भी मुझे वह छोटा बच्चा मानती है,
जब कभी बड़ी बड़ी बातें करुँ,
कहती है रहने दे " भीम का बल कुंती जानती है ",
अब धन्यवाद उसको कैसे दूँ साहब
जो मुझे नौ महीने पहले जानती है।
देर से आऊं कभी तो पापा को देखकर
धीरे से पीछे की दरवाजे तरफ़ इशारा करती है,
जानती है कि मैं ज्यादा गोरा नहीं हूँ,
पर फिर भी मुझे दुनिया का
सबसे सुंदर लड़का मानती है,
अंग्रेजी तो ज्यादा नहीं जानती वह
पर ' लव यू माँ ' बखूबी समझ जाती है,
अब धन्यवाद उसको कैसे दूँ साहब
जो मुझे नौ महीने पहले जानती है।