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Mamta Singh Devaa

Inspirational

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Mamta Singh Devaa

Inspirational

प्यार या विश्वासघात

प्यार या विश्वासघात

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" का मर्दवा तोहूं गजबे हौआ एकदम्मे अचानक से कैसे आ गइला ? "

" अरे यार तुझे सरप्राइज़ जो देना था कुछ भी कह लो तुम्हारे मुंह से भोजपुरी सुनकर मज़ा आ जाता है। अपने आप पर गुस्सा भी आता है कि मैं क्यों नहीं सीख पाया। "

" तू एइजन रहता त सीख जइता चला समझ जाला इहे बहुत हव। "

" के आइलबा भाई जेकरे साथ रमेशवा एतना खिखियात हव कहती हुई रमेश की अम्माॅं दलान में आ गईं। "

चाची मैं विनय और विनय ने झुककर रमेश की अम्माॅं के चरण स्पर्श कर लिया।

" खूब खुश रहा बचवा , अकेले आइल हऊआ ? "

" हां चाची स्मिता को ऑफिस से छुट्टी नहीं मिली अभी छ: महीने पहले ही तो अपनी शादी में छुट्टी ली थी ना इसलिए। "

" छुट्टी तो तुमने भी ली थी...रमेश अचानक से आये हुए विनय को देखकर अब संभल गया था और अपनी मातृभाषा के उपर राष्ट्रभाषा को रखकर बोला। "

" अरे यार वो अमेरिका है वहां इमोशंस के हिसाब से छुट्टी नहींं मिलती " ये कहते हुए विनय के चेहरे पर अजीब से भाव आये लेकिन उन भावों को विनय ने झट से परे कर दिया। लेकिन तब तक रमेश पढ़ चुका था फिर भी चुप रहा अभी ठीक नहीं लगा सवाल-जवाब करना उसे।

चाची ने चुन-चुन कर विनय की पसंद का ही खाना बनाया था...चने की दाल लहसुन और गरम मसाले के छौंके वाली , आलू बोड़े की मसालेदार लटपटी सब्ज़ी , लौकी के कुरकुरे कतरे , कोड़ौहरी वाला नेनुआ , कोड़ोहरी और लहसुन की चटनी , गरमागरम हाथ की थोड़ी मोटी रोटी और आखिर में मलाईदार दही गुड़ के साथ पेट के अंदर गये खाने को मीठा लेप देकर पचाने के लिए। विनय ने पेट भरकर और जी भरकर तृप्त होकर खाना खाया हाथ धोने के बाद चाची के गले लग गया बोला कुछ भी नहीं , विनय बचपन से चाची की तारीफ इसी तरह से करता और चाची बिन माॅं के बेटे का लाड़ पाकर और उसको लाड़ करके तर जाती थीं।

दोनों दोस्त बाहर दुआर पर नीम के पेड़ के नीचे खटिया पर लेट गये रमेश विनय से बात करने के लिए जैसे ही मुड़ा तो देखा विनय इतनी देर में सो चुका था। देखने से लग रहा था जैसे बहुत दिनों के बाद ऐसी नींद आई है भला विनय को किस बात की चिंता हो सकती है ख़ुद इतना बड़ा बिजनेसमैन और किसी बड़े फर्म में काम करती उसकी बेहद खूबसूरत पत्नी स्मिता। 

विनय...विनय उठ अम्माॅं चाय के लिए बुला रही है रमेश की आवाज़ सुन विनय गहरी नींद से उठ बैठा। अरे कुछ ज़्यादा ही देर सो गया मैं कहते हुए अंदर की तरफ चल दिया।

" तो क्या हुआ यहां कौन सा काम है तुझे किस बात की चिंता है मस्त रह रमेश ने उसकी पीठ पर धौल जमाते हुए कहा...मस्त ही तो नहीं रह सकता विनय ने बुदबुदाते हुए कहा। "

" चाय पीते हुए रमेश ने पूछ ही लिया कुछ परेशानी है तुझे ? "

" परेशानी ? नहीं तो...ऐसा क्यों लगा तुझे ? "

" सीधे से बतायेगा कि बुलाऊं अम्माॅं को। "

" नहीं नहीं चाची को नहीं पता चलना चाहिए। "

" क्या नहीं पता चलना चाहिए ? " 

" वो वो मुझे समझ नहीं आ रहा कि मैं कैसे कहूं क्योंकि अभी मैं ही समझ नहीं पा रहा हूॅं। "

" क्या कहना चाह रहा है और क्या नहीं समझ पा रहा है ? "

" यार मैं और स्मिता तलाक़ ले रहे हैं। "

" क्या...क्यों ? स्मिता ने तो इस शादी के लिए ख़ुद हां की थी फिर ऐसा क्या हो गया कि छ: महीने बाद ही तुम दोनों को ये फैसला लेना पड़ा ? "

" दोनों को नहीं स्मिता को मैने बस उसकी खुशी में अपनी सहमति दी है। "

" तलाक़...खुशी... सहमति ई सब आपस में विरोधी हऊंऐं हमरे समझ में कुच्छो नहीं आवत हव तू खुलके बतावा। " दोस्त को परेशानी सुन मातृभाषा फिर हावी होने लगी। 

" स्मिता ने ये शादी बहुत सोच समझकर की मुझे पसंद करके नहीं मेरे ' एन आर आई ' होने से उसको आसानी से वीसा जो मिल रहा था। "

" वीसा नहीं मिलत त ऊ तोहरे साथ जात कईसे ओके त मिलही के रहे एम्मे सोचे समझे जैइसन का हव ? "

" स्मिता के लिए वीसा ही मायने रखता था मैं या शादी नहीं। "

" देख हमार दिमाग एकदम्मे काम नहीं करत हव। "

" मुझे भी जब पता चला तो मेरे दिमाग ने भी काम करना बंद कर दिया था कि कोई कैसे किसी का इस्तेमाल इस तरह से कर सकता है ? स्मिता किसी और से प्यार करती थी उसके मां-बाप तैयार नहीं थे दूसरे धर्म में उसका विवाह करने को तभी मेरा रिश्ता गया उसे और उसने तुरंत हां कर दी। हम शादी के बाद ' यू एस ' आ गये तब तक स्मिता ने मुझसे दूरी बनाए रखी मैने समझा नया नया रिश्ता है कुछ दिनों में कम्फ़र्टेबल हो जायेगी। स्मिता ने ऑफिस ज्वाइन कर लिया बात व्यवहार सब नार्मल लेकिन दूरी वैसी की वैसी ही बनी रही। "

" लेकिन बातिया तलाक़ तक कैसे पहुंचल ? "

" छ: महीने बाद स्मिता ने मेरे सामने ' साॅरी ' कहते हुए तलाक़ के पेपर रख दिये मैने वजह पूछी तो पता है वो क्या बोली ? "

" का ? "

" बोली मुझे तुम्हारे लिए बहुत ख़राब लग रहा है कि मैंने तुम्हारा इस्तेमाल किया अपने प्यार को पाने के लिए। "

" ओकर पियार ऊंहवा कैसे पहुंच गईल ? "

" वो ऐसे कि जिस लड़के से स्मिता प्यार करती थी उस लड़के की जाॅब ' यू एस ' में लग गई और स्मिता के लिए सारे रास्ते बंद हो गये तभी मैं मिल गया और उसने अपने प्लान पर काम शुरू कर दिया। "

" प्लान ? "

" मेरे ज़रिए ' यू एस ' का वीसा जो लेना था और मेरे साथ छ: महीने भी तो काटने थे , मुझसे तलाक़ लेकर अपने प्रेमी से शादी करेंगी इतना कुछ किया उसने अपने प्यार के लिए यही सोचकर उसकी खुशी के लिए मैं ' म्यूचुअल अंडरस्टैंडिंग ' से तलाक़ की बात पर सहमत हो गया। "

" जब तू सहमत हो ही गईला त फेर एतना दुखी काहे हऊआ ? "

" क्योंकि स्मिता ने अपने प्यार को पाने के लिए अपने प्रेमी की नज़रों में बहुत बड़ी कुर्बानी दी है लेकिन उसने मेरे प्यार के विश्वास के साथ विश्वासघात किया। "


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