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Mamta Singh Devaa

Inspirational Others

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Mamta Singh Devaa

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हमारी राष्ट्रभाषा हिन्दी

हमारी राष्ट्रभाषा हिन्दी

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गर्व है मुझे कि मैंने हिन्दी को बचा कर रखा है...


भारत से अंग्रेजों के जाने के बाद 

बचे हुये अंग्रेजों के बीच में रहती हूँ

बहुत शान से अपनी राष्ट्रभाषा को

दिलोजान से अपना कहती हूँ ,


गर्व है मुझे कि मैंने हिन्दी को बचा कर रखा है...


हिन्दी लिखती मैं हूँ वो पढ़ने में शर्माते हैं

पसंद नापसंद तो दूर की बात है

एक भाषा के बंधन से बंधे वे

मेरा परिचय देने में घबराते हैं ,


गर्व है मुझे कि मैंने हिन्दी को बचा कर रखा है...


पहले अच्छा लगता था हिन्दी बोलना

अब तो परम आनंद आता है

जब मेरे हिन्दी बोलने पर

सबका मुॅंह बन जाता है ,


गर्व है मुझे कि मैंने हिन्दी को बचा कर रखा है...


बच्चे के स्कूल की प्रतियोगिता में

हिन्दी में लिख कर इनाम जीत मैं लाती थी

लेकिन स्टेज पर मुझे ना बुला कर

अंग्रेजी बोलने वाली महिला बुलाई जाती थी ,


गर्व है मुझे कि मैंने हिन्दी को बचा कर रखा है...


भाषा से रिश्ते बनते बिगड़ते हैं

ये बात नही सोची थी

सो कॉल्ड पढ़े लिखों की सोच

वाकई बहुत ही ओछी थी ,


गर्व है मुझे कि मैंने हिन्दी को बचा कर रखा है...


अपनी भाषा को बचाने के लिए 

अपने देश में ही अपमान सहना पड़ता है

आने वाली पीढ़ियों के लिए तो

हमें ही अच्छा उदाहरण रखना पड़ता है ,


गर्व है मुझे कि मैंने हिन्दी को बचा कर रखा है...


इनकी तुच्छ सोच का स्तर देखिये

अपने देश में हिन्दी को अनजाना कर दिया

जिसको अपना कहने पर गर्व होना चाहिये था

उसको ही अपनों के बीच बेगाना कर दिया ,


गर्व है मुझे कि मैंने हिन्दी को बचा कर रखा है...


इनकी सोच से मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता

मैंने अपने दिल में हिन्दी को सजा रखा है

ये अपनी सोच भाषा के हिसाब से बदलते हैं

मैंने अपनी सोच में हिन्दी को बसा रखा है ।



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