तू क्यों डर रहा है
तू क्यों डर रहा है
हसों यारों, हंसना ज़रूरी है,
रोना तो होगा, पर हंसना भी ज़रूरी है।
हालात, हमेशा तो एक से न होते,
कुछ न कुछ, बदलता ही रहता है।
कल भी मुसीबत थी, आज भी है,
ये तो जीवन में चलता रहता है।।
कभी, उस गली मातम होगा,
कभी, इस तरफ़ शहनाई बजती।
ज़रा सोचकर तो देखो यारों,
क्या एक सी स्थिति, सदा रहती।
कभी धूप, कभी छांव है, मुसीबत
कभी इस जगह, कभी उस राह है।
कहीं छल, कहीं बल, कहीं निश्छल,
मुझे है विश्वास, अवश्य निकलेगा हल।
पर, तब तक हमें, स्थिति को संभालना होगा,
धीर धर मन में, कांटो भरी राह चलना होगा।
हिम्मत मत हारो, लड़ते रहो,
बढ़ते रहो, जूझते रहो।
मुश्किल अवश्य दूर होगी,
तुम कर्म निरंतर करते रहो।
हारना ही होगा, तो वो हारेगा,
जो नाश मानवता का कर रहा है।
हे प्राणियों में श्रेष्ठ मानव !
धीर - वीर, तू क्यों डर रहा है।