ज़िन्दगी है एक खेल
ज़िन्दगी है एक खेल
एहसान न कर मुझपर ए ज़िन्दगी
साथ हमेशा तेरा मैंने है निभाया
हर सांस की कीमत चुकाई है मैंने
अब बता क्या कुछ और है बकाया
हौसले हमेशा बुलंद रखे हैं मैंने
जब जब तूफ़ान सामने आया
दर्द के अम्बार को दबा के रखा
तभी तो हर जंग जीत मैं पाया
मुसीबतों की जंजीरें कभी
मेरे कदम रोक न पाई
राह में कदम न डगमगाने दिए
टेड़े-मेढे मोड़ थे कई
कुछ ख्वाइशें तो जी गए
कुछ अधूरी पड़ी हैं बाकी
पर कभी न हार मानेंगे
मेहनत कुछ करनी है बाकी
पल पल पीछे छूट जाते है
पर अतीत कभी छूटता नहीं
ज़िन्दगी तेरा खेल है बहुत टेड़ा
पर खेलने का मोह छूटता नहीं
कितना भी नचाती रहो ए ज़िन्दगी
तेरे रंगमंच पर हम टिके ही रहेंगे
नाचेंगे, नचाएंगे, खेलेंगे, कूदेंगे
हर हाल में तेरा सफर पूरा करके ही रहेंगे