विश्वास है प्रार्थना...
विश्वास है प्रार्थना...
जब हम विश्वास रखते हैं
तभी सच्ची होती है प्रार्थना,
क्योंकि
सिर्फ यकीन का दूजा नाम है प्रार्थना।
जैसे पंख बिन उड़ता नहीं परिंदा,
वैसे ही,
मन विश्वास बिन कहाँ जिंदा।
आस होती है जीने की वजह,
जो आती है विश्वास से...
और भरोसा मिलता है,
सूरज से, किरणों से।
जब निराश होता है इंसान,
नीरस होती है जिंदगी...
तब प्रार्थना ही देती है
मन को ताजगी, सुकून।
इसी से मिलती है नयी रोशनी,
नयी राह और नयी मंज़िल...
प्रार्थना शक्ति है, संयोग है,
आशीष है माँ का, समर्पण है प्रार्थना...
और जब साँस मानेंगे हम इसे,
तो निश्चित ही ईश्वर से मिलेगी जीने की शक्ति।
क्योंकि,
प्रार्थना की आत्मा है विश्वास॥
