राष्ट्रीय त्योहार
राष्ट्रीय त्योहार
इक दिन पूछा माँ से मैंने‚
जरा यह तो बतलाना,
राष्ट्रीय त्योहार को साल में
दो बार‚ भला क्यों है मनाना।।
दोनों में अंतर क्या है‚
मुझको समझ ना आए,
फिर बाकी त्योहारों को भी‚
दो बार क्यों ना मनाए।।
माँ ने हँसकर कहा बेटे‚
तुझको मैं समझाऊँ,
तेरी ही नहीं परेशानी‚
औरों को भी समझाऊँ।।
देशप्रेम से होकर प्रेरित‚
लोगों ने जान गवाई,
हाहाकार मची लोगों में,
तब आजादी पाई।।
स्वतंत्र हुए गुलामी से तो‚
स्वतंत्रता दिवस कहलाया,
तब जाकर पंद्रह अगस्त को‚ ‘इंडीपेंडेंट डे’ मनाया।।
आजादी मिलने पर हमने‚
कार्य भार संभाला ।
कैसे‚ किस प्रकार देश चलाए‚
यह सवाल उभारा।।
तब जाकर सरकार नेताओं का‚ गठबंधन करवाया,
न्याय‚ वित्त और देश की खातिर‚ नया संविधान सजाया।।
संविधान लागू हुआ तो‚
वह दिन हुआ विशेष,
सबने मिलकर देखो फिर,
दूर किए सभी क्लेश।।
इस प्रकार छब्बीस जनवरी‚
गणतंत्र दिवस कहलाया,
देखो दोनों त्योहारों ने‚
अपना महत्व समझाया।।
दोनों ही दिनों में हमने‚
राष्ट्रगीत है गाया,
राष्ट्रध्वज को फहराके‚
आगे है शीश झुकाया।।
देखो बच्चों, देखो बच्चों...
लोगों की कुर्बानी को‚
व्यर्थ ना जाने देना,
देश प्रेम और भाई चारे को‚
हमेशा ही बढ़ाना ।।
