जिंदगी
जिंदगी
जिंदगी को आज तक ना कोई समझ पाया है,
किस्मत को वक्त से पहले ना कोई जान पाया है,
खेल खेल रही है तकदीर,
नसीब की चोट से कौन बच पाया है,
किस्मत का लिखा कौन मिटा पाया है,
होनी को कौन बदल पाया,
धीरे धीरे चल ऐ जिंदगी,
अभी बहुत कुछ सुनना कहना है,
कहीं खुशी के मेले है,
कहीं गम के ढ़ेरे है,
कुछ बदलती लोगों की तस्वीर,
टूटे कुछ विश्वास के धागे हैं,
कोई बैठा हैं ऊंचाइयां पर,
कोई गहरी खाई में,
चलती जा रही है जिंदगी,
किसी से खपा किसी को बनाकर,
हौसला , हिम्मत ,सब्र रख,
मुस्कुरायेगा जिंदगी सिखा रही है।
