कुंडलियां
कुंडलियां
कहकर यह रोते सदा ,मिला न मुझको मीत।
नहीं कभी कोई लिखा ,मुझ पर कोई गीत।।
मुझ पर कोई गीत, तोड़ दिल मुझको छोड़ा ।
बीच फँसा मँझधार,ईश पथ मुझको मोड़ा।।
तेरा तो है ईश, प्रेम दे उर में रहकर।
तुमसे ही हैं ईश,नहीं रो धोखा कहकर।।
कहकर यह रोते सदा ,मिला न मुझको मीत।
नहीं कभी कोई लिखा ,मुझ पर कोई गीत।।
मुझ पर कोई गीत, तोड़ दिल मुझको छोड़ा ।
बीच फँसा मँझधार,ईश पथ मुझको मोड़ा।।
तेरा तो है ईश, प्रेम दे उर में रहकर।
तुमसे ही हैं ईश,नहीं रो धोखा कहकर।।