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vartika agrawal

Inspirational

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vartika agrawal

Inspirational

गीतिका

गीतिका

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तेरे द्वारे आकर खुश हूँ, खुशियाँ हृदय विहारी में ।

औषधि बन उर लेप लगाए, सब पीतांबर धारी में ।


पीर हृदय के हर मिट जाए, ईश दृष्टि जब भी डाले ..

शरणागत बन जब जो जाए, डूबे कृष्ण- मुरारी में ।


भक्त हाथ जो खाली आता, प्रीत सदा भरती झोली--

देते भर-भर सब भक्तों को, जादू है अवतारी में ।


तीनों लोकों के स्वामी को, भक्त भक्ति से है जीते ..

कष्ट-पीर ग्रह, दोष-रोग सब, कटते जो है भारी में।


सरल करे हरि जीवन उसका, जो मन है सीधा-सादा--

उच्च-कोटि की सोच हमें दो, जन्म न यह लाचारी में।



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