वतन
वतन
इश्के वतन जिसमें जगा वो तो उसी पर मर मिटे।
वो हिंद की गाथा लिखे ये दिल वतन को कर मिटे।
वो क्रांति की ज्वाला सदा जो नैन में शोला भरे
ऊँचा करे ध्वज जो सदा खुद को उसी मे तर मिटे।
गद्दार को जो मारता षड्यंत्र भी पहचानता
सच्चा वही जय भक्त जो जय के लिए जय पर मिटे।
जो जोश दिल में दे उठा इश्क़े वतन का गीत दे
गहरा हुआ जब दिल जहां तो फिर वतन पर हर मिटे।
'वरदा 'सदा इश्के वतन लहरा रहा है ध्वज यहाँ
रख एकता सब एक हैं इस एकता से डर मिटे।
