ऐतिहासिक पल
ऐतिहासिक पल
वर्षों से तमन्ना थी की हल्दीघाटी देख आए।
उस रणबांकुरे चेतक महान की समाधि के दर्शन हम कर आए।
हल्दीघाटी जहां युद्ध हुआ था मैदान हम देख आए।
जिंदगी ने हमको यह मौका दिया कि हम हल्दीघाटी देख आये।
जब हम वहां पहुंचे उस मैदान में खड़े थे।
तो हम को ऐसा लग रहा था कि कहीं हम यह युद्ध तो नहीं लड़े थे।
हम राणा प्रताप के साथ तो नहीं खड़े थे।
सच में कैसा ऐतिहासिक पल था जिसका हम आपको बयान नहीं कर सकते थे।
मन में एक झुरझुरी सी आ गई।
जो हमको उस ऐतिहासिक पल में ले गई।
हम नतमस्तक हुए।
हमने शहीदों को नमन किया आंखों में हमारे आंसू थे ।
मन में वह गाना गूंज रहा था,
ओ पवन वेग से उड़ने वाले घोड़े,
तुझ पर सवार है जो,
मेरा सुहाग है जो,
और वास्तव में चेतक घोड़े ने राणा प्रताप की लाज रखी
पूरी स्वामी भक्ति निभाई।
मन में गूंज उठा आज धरती गोरा धोरा री ।
आ धरती वीर वीरारी
आ धरती रो रुतबो ऊंचो
आबात करें कूंचों कूंचो।
माणें है अभिमान कि मैं हां राजस्थान रा रणवीरा।