सशक्त नारी
सशक्त नारी
न हूँ अकेली,
खुद का ही साथ है,
जीत सकती हर मुकाम,
लाख मुश्किलें साथ है,
कितना करोगे कैद मुझे,
कितना अब सताओगे,
तुम जकड़े कुरीतियों में,
दुर्बुद्धि लिए फिरते हो,
मिटा हर कुरीति अब
सद्बुद्धि जगाना है,
खुद जाग हर नारी को,
हर नर को जगाना हैं,
मैं हूँ सशक्त हर रूप में,
न वो अबला नारी हूँ,
इक्कीसवीं सदी में,
नव रूप में, हर दुष्टता पर भारी हूँ,
तोड़ हर बंधन की बेड़ी,
हमने राह बना ली हैं,
न रुकेगी, न थकेंगी,
हम भारत की नारियां,
नवसृजन कर नवशिल्पी बन,
नवभारत की नींव बना ली हैं,
न कोई बंधन, न परंपरा,
रोक हमें अब पाएगी,
नवयुग जागरण की आंधी,
अब हमसे ही आएगी।।