जब भी परिणय के अब जुड़ाव होते हैं वस्तु की तरह रोज मोलभाव होते हैं जब भी परिणय के अब जुड़ाव होते हैं वस्तु की तरह रोज मोलभाव होते हैं
ये कुरीति छाई समाज मे मृत्युभोज करवाकर उससे,कर्ज की पाई दी समाज मे! ये कुरीति छाई समाज मे मृत्युभोज करवाकर उससे,कर्ज की पाई दी समाज मे!
सत्य पथ का राही वो, कष्टो से न जो डरता है, सत्यवादिता को कवच बना. सत्य पथ का राही वो, कष्टो से न जो डरता है, सत्यवादिता को कवच बना.
बचपन से हमें यही तो बताया है, सौभाग्य केवल स्त्री का ही तो परिचायक है। बचपन से हमें यही तो बताया है, सौभाग्य केवल स्त्री का ही तो परिचायक है।
पाखंड तो है नाम इसी का जो बन जाता जहर शीशी का! पाखंड तो है नाम इसी का जो बन जाता जहर शीशी का!
नीति-अनीति में, जो अंतर न कर पायें। वो समाज जीवन में, कुरीति ग्रस्त हो जायें। नीति-अनीति में, जो अंतर न कर पायें। वो समाज जीवन में, कुरीति ग्रस्त हो जायें।