सौभाग्य
सौभाग्य
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सौभाग्य शब्द सुनते ही आंखों में
बिंदी, सिन्दूर, चूड़ी, महावार से सजी स्त्री का ख्याल आता है,
यही सब तो हमारी सोच हमारे विचारों को दर्शाता है।
बचपन से हमें यही तो बताया है,
सौभाग्य केवल स्त्री का ही तो परिचायक है।
इस शब्द के नीचे दबा हर स्त्री का जीवन है,
इसी से खुशी इसी से दुनिया रंगीन है।
जिस दिन हमसे हमारा सौभाग्य रूठ जाता
जिन्दा स्त्री को भी मुर्दा बना दिया जाता।
कब तलक हम यूं भाग्य सौभाग्य के
हाथों की कठपुतली बनेंगे,
बहुत हुआ अब बस जिन्दा होते हुए भी
मुर्दा हम नहीं बनेंगे।