बरसात
बरसात
लो फिर ये बैरी बरसात आ गई
जो भुला चुके थे हम फिर तेरी वो याद आ गई।
तुमसे मिलना तुमको पाना हुआ था सब इन बरसातों में
ना जाने कितने ख्वाब बुने थे मैने अधेरी रातों में
लो तुमसे बिछड़ने की फिर बात आ गई
जो भुला चुके थे हम तेरी फिर वो याद आ गई
लो फिर ये बैरी बरसात आ गई।
मिट्टी की खुशबू से फिर से महक उठी है सांसे
बूंदों की छम छम में गूंजे तेरे हंसी ठहाके
मिलने की इक प्यास जगाएं ये भीगी भीगी रातें
पुरवाई फिर हकीकत से रूबरू करा गई
जो भुला चुके थे हम फिर वो तेरी याद आ गई
लो फिर ये वैरी बरसात आ गई।

