कहानी कविता को लिखने का शौक है। पढ़ना भी बहुत पसन्द है। अपनी कलम से जब भी कोई किरदार लिखती हूँ, खुद भी उसे उसके साथ ही जीती हूँ।
आज मेरे शहर की गली में वो दिखा था कुछ उदास कुछ बुझा -बुझा ऐसा मुझे लगा। आज मेरे शहर की गली में वो दिखा था कुछ उदास कुछ बुझा -बुझा ऐसा मुझे लगा।
बोले "श्रीमती जी हमारी गुस्ताखी माफ करो.. आपकी मार्च क्लोजिंग तो मुझसे भी ज्यादा मुश्किल है बोले "श्रीमती जी हमारी गुस्ताखी माफ करो.. आपकी मार्च क्लोजिंग तो मुझसे भी ज्य...
तभी करो शादी जब अपने अरमानों को पूरा करने के लिए तुम खुद को काबिल बना लो। तभी करो शादी जब अपने अरमानों को पूरा करने के लिए तुम खुद को काबिल बना लो।
शर्मा जी के लायक बेटे ने मुझे नालायक बनाने में कोई कसर न छोड़ी थी। शर्मा जी के लायक बेटे ने मुझे नालायक बनाने में कोई कसर न छोड़ी थी।
सब लेते हैं सर्दियों के मजे पर बहू की दो आंखें इक कतरा धूप को तरसतीं हैं। सब लेते हैं सर्दियों के मजे पर बहू की दो आंखें इक कतरा धूप को तरसतीं हैं।
मैं तुम्हारी याद में बाबरी हो सारी दुनिया भूल जाती हूं। मैं तुम्हारी याद में बाबरी हो सारी दुनिया भूल जाती हूं।
तो फिर जरूरत ही कहां रह जाती है स्त्रियों को किन्ही अभिलाषाओं की। तो फिर जरूरत ही कहां रह जाती है स्त्रियों को किन्ही अभिलाषाओं की।
घूंघट में स्त्री रहे इस सड़ी गली मानसिकता के आज भी हम गुलाम है, घूंघट में स्त्री रहे इस सड़ी गली मानसिकता के आज भी हम गुलाम है,
जब हम छोटे बच्चे थे.... खुश होने को न कोई पैसे लगते थे। जब हम छोटे बच्चे थे.... खुश होने को न कोई पैसे लगते थे।
न ही कोई उम्मीद थी उनको न ही कोई मिलन की आस थी न ही कोई उम्मीद थी उनको न ही कोई मिलन की आस थी