मार्च क्लोजिंग
मार्च क्लोजिंग
आज सबेरे- सबेरे मैने पतिदेव को जगाया
देकर चाय हाथ में "सब्जी मंडी चलना है "जब उनको ये बतलाया।
सुनकर इतनी छोटी बात मेरी गुस्सा उनको आया
"मार्च क्लोजिंग चल रही ऑफिस में समय नहीं मेरे पास"
आग उगलती आंखों से मुझको ये सुनाया।
उनका गुस्सा देख गुस्सा मुझको भी आया
"फालतू आपको दिखती हूं क्या"?मैने भी ये सवाल उन पर उछाला!
मेरा सवाल सुनकर आंखों में शरारत वो ले आए
"घर पर करती ही क्या हो दिनभर तुम"?
हाथों से दबा अपने मुंह को व्यंग से हम पर वो खिलखिलाए।
इस हँसी ने जैसे मेरे अंदर ज्वालामुखी भड़का दिया
आव देखा ना ताव अपनी मार्च क्लोजिंग का किस्सा उनको सुना दिया.....
"सर्दी चली गई इसलिए इस महीने गरम कपड़ों को सलीके से रख रही हूं,
आने वाली है भीषण गर्मी इसलिए कूलर, पंखा, ए.सी. भी साफ क
र रही हूं ।
साल भर के लिए बनाकर रख रही हूं तुम्हारी पसंद की बड़ियां
तुम्हारे रिश्तेदारों की थाली ना रहे खाली
इसलिए भिन्न-भिन्न आकार प्रकार के पापड़ बना सहेज रही हूं।
कर रही हूं आने वाली गर्मी के लिए अपनी बगिया को तैयार
तो होली के लिए मठरी और गुंझिया की तैयारी भी कर रही हूं।
तुम ऑफिस की फाइलों को समेट खुद को कुछ ज्यादा ही तीस मार खां समझ मुझ पर गुस्सा दिखा रहे हो,
मैं इतने सारे काम करने के बाद भी मुस्करा कर घर पर तुम्हारा स्वागत कर तुम्हारी हर मांग पूरी कर रही हूं।
मेरी मार्च क्लोजिंग का किस्सा सुन पतिदेव सकपका गए
रख दिया चाय का कप झट से झोला उठा लिए
बोले "श्रीमती जी हमारी गुस्ताखी माफ करो..
आपकी मार्च क्लोजिंग तो मुझसे भी ज्यादा मुश्किल है
इसलिए इस सेवक की सेवा स्वीकार करो।