शर्मा जी का बेटा
शर्मा जी का बेटा
शर्मा जी के लायक बेटे ने मुझे नालायक बनाने में कोई कसर न छोड़ी थी,
पापा जी से रोज ही मेरी तानो की बौछारों के संग लात घूंसों से पूजा होती थी।
बात बात में मिसाल शर्मा जी के बेटे की दी जाती
उसकी नुन्नयांवे प्रतिशत की मार्कशीट हमारे पिच्चयासी प्रतिशत पर अक्सर भारी पड़ जाती।
स्कूल में भी शर्मा जी के बेटे का बोल वाला था
शिक्षकों से लेकर हर बच्चा उसका ही दिवाना था,
सबसे आगे की बैंच पर उसका कब्जा तो स्कूल में आए हर अतिथि से सबसे पहले उसको ही मिलाया जाता था।
नाम रौशन था अध्यापकों और स्कूल का उससे
अपने बेटे की वजह से शर्मा जी का सीना गर्व से दो गुना चौड़ा हो जाता था।
शर्मा जी की अहम से भरी बातों को सुनकर
अक्सर पिताजी अन्दर ही अन्दर जल जाते थे,
अपनी उस गुस्से की आग को ले डंडा हम पर बरसाते थे।
बहुत कोशिश की शर्मा जी के बेटे की बराबरी करने की
पर कभी न कर सके,
वो बन गया बड़ा वैज्ञानिक हम एक सरकारी नौकरी ही पकड़ सके।
वैज्ञानिक बन शर्मा जी का बेटा सब छोड़ छाड़ कर विदेश चला गया
हम अपने परिवार संग छोटे शहर में ही रह गए।
झुकी कमर उदास चहरा लेकर शर्मा जी आज भी मेरे पिताजी से मिलने आते हैं,
खिला कर मेरे बेटा बेटी अपनी गोदी में दिल में दबी ममता लुटाते हैं।
धन्य समझता हूं मैं खुदको जब मेरे पिताजी स्नेह भरी नजर मुझपर डाल शर्मा जी से बतियाते हैं।