मेरा दिल
मेरा दिल
आज कल हर ओर कुछ खोज रहा है मेरा दिल,
लगाना तो चाह रही हूं इसे हर जगह
पर कहीं लग नहीं रहा है मेरा दिल ।
बेपरवाह इतना हो गया कि गहरे दर्द को भी हल्के में टाल रहा मेरा दिल,
पर सजग इतना कि हर बात को खुद से लगा दर्द में डूबा जा रहा मेरा दिल।
समझ नहीं आ रहा कि ये उम्र का असर है या गहरे लगे जख्मों का असर
कि अब हर रिश्ते से नाता तोड़ता जा रहा मेरा दिल।

