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Anita Sharma

Romance Tragedy

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Anita Sharma

Romance Tragedy

अधूरा प्रेम

अधूरा प्रेम

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आज मेरे शहर की गली में वो दिखा

था कुछ उदास कुछ बुझा -बुझा ऐसा मुझे लगा।


मैने रिक्शे पर बैठे ही बैठे उसे आवाज देनी चाही,

पर हो ना जायें कहीं हम तुम बिना वजह रुसवा

इसलिए दिल की आवाज रह गई अन्दर ही अन्दर घुटी।


जब तक तूं दिखा देखती रहीं पलट-पलट

इक आस थी कि मेरे दिल की आवाज पहुंचेगी तेरे दिल तक।


पर अफसोस एक बार फिर मेरी आंखे आंसूओं से भरीं थीं

तूं तो कब का आगे बढ़ चुका था,

मैं ही पता नहीं क्यों उस राह को बेवजह अबतक तक रही थी।



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