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Gaurav S Kaintura

Romance

3  

Gaurav S Kaintura

Romance

मोहब्बत

मोहब्बत

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​रूह को जिस्म से कभी अलग होते हुए देखा है ?

पंछी को कभी पिंजरे से उड़ते हुए देखा है ?


कुछ ऐसा ही महसूस होता था मुझे

तुम्हारी मोहब्बत के साए में।


खुद से अलग होकर तुममें कहीं खो जाना

जैसे शक्कर का पानी में भीने भीने घुल जाना।


मैं तुझमें हूं कहीं इस तरह से दिखता तो नहीं

पर मोहब्बत एक एहसास है

बुझती तो नहीं ऐसी ये प्यास है।


प्यार मैं तुमसे अब भी करता हूं

हां पर शायद उतना अब कह नहीं पाता।


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