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Neer N

Abstract Romance

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Neer N

Abstract Romance

याद

याद

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याद कौन सा वक्त देख कर आती है

निडर बेखौफ सी चल पड़ती है

तड़पाने को, रुलाने को

ना, दरो दीवारों की समस्या

ना सरहदों का डर,


पकड़े जाने की कोई उम्मीद नहीं

पहचान कोई सकता नहीं,

नजर किसी को आती नही बस

जिसके पास जाना होता है

पहुंच जाती है, अश्कों से


भरे बादल लिए, और बरस

जाती है, किसी खामोश से

कोने में जाकर,

भीगा हुआ तन दिखता है

भीगा हुआ मन नहीं नजर आता।


शरीर के जख्म नजर आते हैं

मगर मन के घाव नहीं दिखते।

बहुत तेज चाल है यादों की

मगर पांव नहीं दिखते।

जिसके पास जाना होता है

बस, पहुंच जाती है।


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