तुम मुझे पढ़ कर रो दोगे..
तुम मुझे पढ़ कर रो दोगे..
अश्कों से दामन धो दोगे,
तुम मुझे पढ़ कर रो दोगे
वक्त को भी कहां मालूम था,
ऐसा वक्त आएगा,
दिल को भी ना थी खबर के ऐसा सिला दोगे
तुम मुझे पढ़ कर रो दोगे
हादसे दिल के कुछ यूं पेश आए
जुदाई की हद तक हमे ले आए
रफ्ता रफ्ता छोड़ दोगे साथ
हमें खो दोगे
तुम मुझे पढ़ कर रो दोगे
ना शक सही होता है और
ना ही शक करना,
ज़िन्दगी में हर रिश्ते की बस
इज्जत करना
नहीं तो सभी को एक दिन खो दोगे
तुम मुझे पढ़ कर रो दोगे
चाहत से ज़्यादा आदत थी,
तुम्हारी खासियत तुम्हारी शराफत थी
उलझते रहोगे यूं सबसे तो
ये खूबी भी खो दोगे
तुम मुझे पढ़ कर रो दोगे।
लौट कर आने की ना वजह है ना रास्ता कोई,
ना रहा भरोसा, ना आस्था कोई,
इलज़ाम पर और कितने इलज़ाम दोगे
तुम मुझे पढ़ कर रो दोगे।