तुम्हारे खत.....
तुम्हारे खत.....
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तुम्हारे उन खतों में जो
मुहब्बत कल थी
वो आज भी है।
तुम बदल गए वक्त के साथ
पर तुम्हारे खतों की मुहब्बत,
वो लफ्जों की वफ़ा आज भी
सहेज रखी है मैंने
दिल के दराज में।
वो आज भी नहीं बदली
बिल्कुल वैसी ही है जैसी
तब थी जब तुमने वो खत
लिखे थे मेरे नाम!!