नीर
नीर
किसी किताब की कहानी की तरह
बहती हूं अपनी रौ में पानी की तरह,
बन कर लफ्ज़ लफ्ज़
बिखरा पड़ा है वजूद मेरा।
तुम रख तो समेट कर
किसी निशानी की तरह।
किसी किताब की कहानी की तरह।
बहती हूं अपनी रौ में पानी की तरह!!
