STORYMIRROR

Neer N

Abstract Others

4  

Neer N

Abstract Others

मां....

मां....

1 min
320

बिछड़ तो जाती हैं वो एक उम्र के बाद

जैसा की प्रारब्ध है मानव शरीर के साथ,

पर जुदा होने के बाद भी जुदा नहीं होती।

मां रह जाती हैं अपने बच्चों में, उनकी

हर खुशी, हर गम में, रसोई में,

पकवानों में, घर की हर चीज में, 

घर के हर कोने में उनकी खुशबू

महसूस होती है। 

जब पलकें मूंद कर जरा दिल से

पुकारोगे ना, तो अपने पास ही पाओगे।

क्योंकि मां हमारे अंदर ही रह जाती है।

बिछड़ तो जाती हैं वो एक उम्र के बाद

जैसा की प्रारब्ध है मानव शरीर के साथ,

पर जुदा होने के बाद भी 

जुदा नहीं होती।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract