प्रिये तुम सबसे सुंदर
प्रिये तुम सबसे सुंदर
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सुन्दर सुखद सुशील तन, बिखरे बिखरे केश ।
मुख पर जैसे आ बसा, सुंदरता का देश ।
सुंदरता का देश, जिसे बस देख रहा हूँ ।
मन ही मन मैं मीत, उसी में डूब गया हूँ ।
अंदर अंदर शोर, शांत हूँ बाहर बाहर ।
कहता हूँ मैं आज, प्रिये तुम सबसे सुंदर ।।