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Usha Raghav

Romance

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Usha Raghav

Romance

अक्सर

अक्सर

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तुम्हारे चले जाने से, जिन्दगीं में हो गयी हैं कुछ रिक्तियाँ

अक़्सर महसूस होता है, अपने अन्दर का वो खालीपन 


कभी कभी जब तन्हा होती हूँ, सोचती तुमको रहती हूँ

वक़्त फिर काटे नहीं कटता, अश्क़ आँखों से बहते हैं


यूँ तो सब कुछ है जिंदगी में, कमी बस तेरी ही खलती है

लगे बाज़ार हैं खुशियों के, मगर कुछ दिल को न भाते हैं


कोशिशें करती रहती हूँ, दर्द दिल में ही दफ़न कर लूँ

ओढ़ कर चेहरे पे मुस्कान, अश्क़ भी सारे मैं पी लूँ


काश ! ये वक़्त ही बन जाये, मेरे जख्मों का अब मरहम

कहीं नासूर न बन जाये, ज़ख्म ये.... रिस्ते रिस्ते पैहम।


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