तजुर्बे जिंदगी के
तजुर्बे जिंदगी के
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जिंदगी भर... जिंदगी से हमें... तजुर्बे पे तजुर्बे मिलते रहे
और हम.. तजुर्बे के मुताबिक़.. ख़ुद ही उम्र भर ढलते रहे
एक वक़्त था.. कि अपनी ही परछाई से डर जाते थे हम
और आज.. आस्तीनों में एक आध साँप पाल लेते हैं हम
जरूरत से ज्यादा.. खूबियाँ भी.. अब हमें पचती नहीं हैं
क्या करें खामियाँ भी हमको... अब कहीं जंचती नहीं हैं
जो भी पाया... जिंदगी में हमने... सब यहीं रह जाना है
और जो भी खो गया है.. साथ वो भी कहाँ ले जाना है
तजुर्बे जिंदगी के अब तुमको.. ये सिखाते हैं हर क़दम
इश्क़ विश्क़ प्यार व्यार.. सब बेकार की बातें हैं 'ऊषा'