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Usha Raghav

Romance

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Usha Raghav

Romance

अच्छा लगता है

अच्छा लगता है

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नाक पे बैठा तुम्हारा गुस्सा अच्छा लगता है मुझे

बात बात पे तुम्हारा रूठना अच्छा लगता है मुझे


तुम्हारे इनकार में इक़रार और शरारत भरी तकरार

तुम्हारा दबा दबा सा ये प्यार अच्छा लगता है मुझे


बिना बात के भी मुस्कुराना अच्छा लगता है मुझे

कभी खुद से खुद को चुराना अच्छा लगता है मुझे


दर्पण देख देख इतराना अच्छा लगता है मुझे

मद्धम धुन पर गीत सजाना अच्छा लगता है मुझे


बसंत ऋतु में फूलों का खिलना अच्छा लगता है 

असीम आकाश में बाहें फैलाना अच्छा लगता है 


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