तुम्हारे जाने के बाद
तुम्हारे जाने के बाद
एक मन और हजार याद
तुम्हारे जाने के बाद
पिरोया अश्रु धार से
हर एक बात
तुम्हारे जाने के बाद
नहीं कौशलता इतनी की
मन किसी को दिखला पाऊँ
बसंत रंग ,निशा में समाया
है हर तरफ घनेरी रात
तुम्हारे जाने के बाद
असत सत संग मन डोल रहा
कहो किसके कौन अपने हैं
अपने पन ने जब आस जमाया
पतझड़ सम हर आश निपात
तुम्हारे जाने के बाद
तरुणाई कहां स्थिरता चित्त की
सब जग से सरोकार कहाँ
नित नयन, नयन जल समाया
बरसे बन नित सावन बरसात
तुम्हारे जाने के बाद ।