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GOPAL RAM DANSENA

Romance

4  

GOPAL RAM DANSENA

Romance

तुम्हारे जाने के बाद

तुम्हारे जाने के बाद

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366


एक मन और हजार याद 

तुम्हारे जाने के बाद 

पिरोया अश्रु धार से 

हर एक बात 

तुम्हारे जाने के बाद 


नहीं कौशलता इतनी की 

मन किसी को दिखला पाऊँ 

बसंत रंग ,निशा में समाया 

है हर तरफ घनेरी रात 

तुम्हारे जाने के बाद 


असत सत संग मन डोल रहा 

कहो किसके कौन अपने हैं 

अपने पन ने जब आस जमाया 

पतझड़ सम हर आश निपात 

तुम्हारे जाने के बाद 


तरुणाई कहां स्थिरता चित्त की 

सब जग से सरोकार कहाँ 

नित नयन, नयन जल समाया 

बरसे बन नित सावन बरसात 

तुम्हारे जाने के बाद ।


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