सुकून
सुकून
ले चल तू भी देख, देखे दुनिया सारा I
कहीं खुशी तो कहीं गमगीन है नजारा I
वो ढूँढे जीने की राहें, वक्त जहर पसारा I
पी ले आंसू भाग समझ ,जो सुन न होता
तेरे घर तेरी चाह, काहे तू सुकून न सोता I
इन प्रपंचों से अपना नाता है यारा I
हमें कभी पेट तो कभी सेठ ने मारा I
चल रही दुनिया में यहीं खेल सारा I
वरना कोई अपनों से महरूम न होता।
उन पाक हाथों से कोई खून न होता ।
उजाड़ने वाले कई उजड़ गये कायद I
देख आसमां अभी नीला है शायद I
भोर सांझ सोहानी यादें हरदम जायद I
यहीं रंग प्राकृतिक ये कभी दुगुन न होता ।
तेरे घर तेरी चाह, काहे तू सुकून न सोता I