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sargam Bhatt

Abstract Inspirational

4  

sargam Bhatt

Abstract Inspirational

मेरी खुशियां

मेरी खुशियां

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मेरी जिंदगी तो नदियों का प्यारा सा किनारा है,

जिसको मां पापा के मेहनत की लहरों ने संवारा है।

इस नदिया का ना कोई ओर है, ना ही छोर है,

काली घटा को देखकर खुशियों से नाचता एक मोर है।

जिन खुशियों की तलाश में कीमती वक्त बिता दिया था,

उन खुशियों को तो मैंने खामोशियों में छुपा दिया था।


खुशियां खुद ही इठलाते हुए हमारे पास आएंगी,

यही सोच कर अपने हसीन लम्हों को गंवा दिया था।

खुशियों को ढूंढते हुए हम खुद को पा गए हैं,

उलझे थे ख्वाबों में हकीकत में आ गए हैं।

जिस एहसास की खुशबू से चेहरा फूल सा खिले,

उस एहसास से तो हम पहले ही थे मिले।


भूल गए थे अपनी चिड़ियों सी चहक को,

भूल गए थे अपनी खुशियों की महक को।

मेरी मासूमियत फिर से जिंदा हो गई,

मैं फिर से एक आजाद परिंदा हो गई।

मेरी काबिलीयत को मुझसे पूछो,

यही मेरी रियासत है यह तुम सोचो।

पा ली है मैंने खुशियां जो मेरे ही आस-पास थी,

हां! मुझे तो इन्हीं खुशियों की तलाश थी ।



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