sargam Bhatt

Abstract Children Stories Tragedy

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sargam Bhatt

Abstract Children Stories Tragedy

शिक्षक दिवस पर सम्मान

शिक्षक दिवस पर सम्मान

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गुरु मेरी दृष्टि में मां बाप से बड़ा कोई गुरु नहीं उन्हीं पर आधारित मेरी एक कविता


मां- बाप को भी सर अपना झुकाया कीजिए,

कभी उनको भी शुक्रिया अदा कीजिए।


सर झुकाने से ना तू हो जाएगा छोटा,

उनके आंचल से ना खुद को हटा लीजिए।


हर मुश्किल हो जाएगी आसान,

बस उनके प्रेम की दुआएं ले लीजिए।


बड़ी मुश्किल से रहता है मां-बाप का साया,

यह हमेशा रहे ईश्वर से यही दुआ कीजिए।


एक बार चले गए लाइलाज मर्ज से,

वापस ना आएंगे कभी लाख बुला लीजिए।


मां - बाप को भी सर झुकाया कीजिए,

कभी इनको भी शुक्रिया अदा कीजिए।


कुछ समय इनको भी दो, वरना एक दिन खबर ऐसी आएगी,

हो गए तुम अनाथ, अब रो रो कर पछता लीजिए।


यहां कोई साथ देता नहीं, सारी जिंदगी,

चाहे जितनी दुआ, दवा और वफा कीजिए।


मां - बाप को भी सर झुकाया कीजिए,

कभी इनको भी शुक्रिया अदा कीजिए।


कितनी मुश्किल से तुमको, एक पद भी दिलवाए हैं,

उस पद की ही कद्र कर, अपनी खुशियों में उनको भी शामिल कर लीजिए।


यही दौर नहीं रहेगा उम्र भर,

कभी उनको भी गले लगा लीजिए।


बड़ी उम्मीद से आए हैं तेरे पास,

तुम तो इनको प्यार दे ही दीजिए।


मां - बाप को भी सर झुकाया कीजिए,

कभी इनको भी शुक्रिया अदा कीजिए।


हमारे सबसे बड़े और पहले शिक्षक हमारे माता - पिता ही हैं,

माता - पिता चाहे अनपढ़ ही हो लेकिन, अपने बच्चों को हर सीख एवं संस्कार देते हैं।

दोस्तों शिक्षक दिवस पर आधारित मां - बाप के प्रति लिखी हुई मेरी कविता आप लोगों को बताइए कैसी लगी.....

धन्यवाद




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