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Sumit. Malhotra

Abstract

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Sumit. Malhotra

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दिल का टूटना

दिल का टूटना

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वास्तव में दोस्तों जब उनके दिल में, 

उन्होंने थोड़े वक़्त के लिए रखा था। 


हमने दिल को अपना ही समझा था, 

गिरा हुआ दिल हमसे बोल रहा था। 


किराये का घर निकला ग़म ना करो, 

दोस्त मेरे कमाल के उनके संग रहो। 


दिल बड़ा नाज़ुक और नादान होता, 

ग़मों से बहुत जल्दी ये घबरा जाता। 


दिल का टूटना बहुत घातक हमेशा, 

दिल पर बोझ बहुत बढ़ जाता सदा। 


दिल के टुकड़े हज़ार होते सुना मैंने, 

कोई यहां तो कोई वहां गिरा कहते। 


टूटता तो दिल जब रंग बदले अपने, 

टूटता तो दिल जो बिखरते है सपने। 


दिल का दर्द यादों के संग दफ़नाया, 

कड़वी यादों को पहले ही दफ़नाया।


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