नई साल आने को है
नई साल आने को है
नई साल अब आने को है
और पुरानी बीत रही है।
कड़वी मीठी यादें देकर।
एक बरस फिर रीत रही है।
कुछ उम्मीदें होंगी पूरी।
शायद कुछ अच्छा ही होगा।
यही आस है नए साल से।
यही तमन्ना जीत रही है।
देश प्रगति पथ पर दौड़ेगा।
अर्थव्यवस्था तेज चलेगी।
भाईचारे शांति अमन की।
हर एक दिल में जोत जलेगी।
सुख ,शांति ,समृद्धि आए।
परमेश्वर यही विनीत रही है।
रहे शांति सारे देशों में।
कहीं युद्ध की आंच न आए।
नफरत की जो आग लगी है।
ए परमात्मा यह बुझ जाए।
नहीं किसी से बैर हो कोई।
यही आस मन मीत रही है।
नई साल अब आने को है
और पुरानी बीत रही है।