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Dr. Vijay Laxmi"अनाम अपराजिता "

Abstract Inspirational

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Dr. Vijay Laxmi"अनाम अपराजिता "

Abstract Inspirational

ऊनी धागों के रिश्ते

ऊनी धागों के रिश्ते

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ऊनी धागों के रिश्ते होते बड़े नरम,

सर्द रातों में हैं गर्माहट के मरहम।

न कोई दिखावा, न कोई आडंबर,

प्रेम के ताने-बाने का सुंदर मंजर।


धीरे-धीरे बुने गए विश्वासी ये फंदे,

हर गांठ में छिपे किस्से पड़े मंदे।

उलझन को सुलझाने का ये हुनर,

इन धागों में छिपे जीवनी मुहर।


नाजुक से, लेकिन हैं मजबूत बड़े,

हर खिंचाव पर फिर से रहें ये खड़े।

कभी ढीले, कभी कसावट से भरे,

स्नेह के रंगों में हमेशा उतरते खरे।


ये धागे रिश्तों की रखते पहचान, 

दिल के स्पर्श से आती नयी जान।

ऊनी धागों के रिश्ते नरम हैं सही,

जीवन ठंडी में सबसे गरम हैं वही।

           



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