भ्रम
भ्रम
भ्रम भी घबरा गया है ,
अपने ही भ्रम जाल से ,
अब तो निकल जा रहे ,
भ्रमर भी उसके पास से,।
भ्रम से बढ़कर हो गया,
इंसान की कुटिल चाल ,
भ्रम को ही भरमा रहे चल,
भौरों की भिनभिनाती चाल ,।
मासूम बना बैठा जो भ्रम,
देख के अपना बुरा हाल,
मानव के मस्तिष्क पर अब ,
रहा नहीं उनका अधिकार ,।
