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Dinesh Dubey

Abstract

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Dinesh Dubey

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फुलवारी

फुलवारी

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खिल उठी फिर फुलवारी,

चंद चमन के फूलों से ,

सुगंधित हो रहा है सभी ,

फुलवारी के कोने कोने तक।


रंग बिरंगे फूलों से भरी ,

है ये दुनिया सारी ,

कुछ गुलाब कुछ चंपा ,

कुछ मोगरा कुछ केवड़े सा।


सुवासित कर रही हैं ये ,

पूरी दुनिया की बागियां,

देख उन्हे ऐसा लगता ,

फूल खिले गुलशन गुलशन।



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