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sargam Bhatt

Others

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sargam Bhatt

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मतलब के रिश्ते

मतलब के रिश्ते

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कुछ जंग लगी कड़ियों को तोड़ दिया मैंने,

अब दिलसे रिश्ता निभाना छोड़ दिया मैंने।

वो मेरा भोलापन था या थी तेरी चतुराई,

जब तक साथ निबह सका थी मैंने निभाई,

बीती कड़वी बातों का रुख मोड़ दिया मैंने,

अब दिलसे रिश्ता निभाना छोड़ दिया मैंने।

तब तक थी मैं सबसे अच्छी जब तक मैं डटी रही,

हो चली मैं बहुत बुरी जब सब से मैं कटी रही,

अपनी बुराई का खुद ही बम फोड़ दिया मैंने,

अब दिलसे रिश्ता निभाना छोड़ दिया मैंने।

अपने पराए का भेद जब जान गई मैं,

तारीफ के पीछे का मकसद पहचान गई मैं,

अब खुद से ही खुद को जोड़ दिया मैंने,

अब दिलसे रिश्ता निभाना छोड़ दिया मैंने।

लगी रिश्तो में है जंग छुड़ाना था ना मेरे बस में

ऐसे लगा था जैसे कमान तीर तरकस में,

निकाल तरकश से तीर छोड़ दिया मैंने,

कुछ जंग लगी कड़ियों को तोड़ दिया मैंने,

अब दिलसे रिश्ता निभाना छोड़ दिया मैंने।


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