मातृभूमि के सिपाही
मातृभूमि के सिपाही
कलम चलाने वाला भी
एक सिपाही हैं।
अखबारों की सीमा का
वो भी पहरेदारी हैं।
जन जन की आवाज़ सुनाता,
जग को जगाने की उसपर जिम्मेदारी हैं।
कलम चलाने वाला भी एक सिपाही
हल चलाने वाला भी
एक सिपाही हैं
मिट्टी का सीना चीरकर,
सोना जो उगाता हैं।
मेहनत की गर्मी से,
फसलों को जो लहलहाता है।
लाखों की भूख मिटाने की उसपर जिम्मेदारी हैं।
हल चलाने वाला भी एक सिपाही
बंदूक उठाने वाला
एक सिपाही हैं
सरहद की रक्षा खातिर,
परबत सा जड़ जाता हैं।
इक इक इंच के लिए लहू बहाता,
दुश्मन से लड़ जाता हैं।
दुश्मन से हर घर बचाने की, उसपर जिम्मेदारी हैं।
बंदूक चलाने वाला भी एक सिपाही
मातृभूमि के इन वीरों का हमपर
कई उपकार है।
कलम, बंदूक और हल के सिपाहियों का
सदा ही जय जय कार हैं।
सदा ही जय जय कार हैं।