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Dineshkumar Singh

Abstract Tragedy Classics

4  

Dineshkumar Singh

Abstract Tragedy Classics

कमजोर कहानी

कमजोर कहानी

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हर बार कलाकार 

बदल बदल कर,

किस्सा वो ही

दुहराता रहा,


खोट तो कहानी में थी 

मगर, तोहमत

कलाकरो पर

लगाता रहा।


हर बार नई कंपनी होती,

नए चेहरे, नए लोग होते,

नई आशा होती, नई

अभिलाषा होती।

पर कुछ समय बाद,

उन सभी में, पुराने चेहरे

तलाशता रहा।


इस घूमती जमीन पर

मैं भी घूम रहा हूँ।

अपने पुराने विचारों में,

नए रंगों का वहम भर रहा हूँ।

नाटक वही, उसके पात्र वो ही,

और मैं नया लिखने का

सिर्फ दम भरता रहा।


बदलाव की कहानी,

बहुत गहराई मांगती है।

पात्रों में सिर्फ खोखलापन नही

सच्चाई मांगती है।

और मैं था कि सिर्फ उनके

चेहरों पर रंग भरता रहा।


हर बार कलाकार

बदल बदल कर,

किस्सा वो ही

दुहराता रहा,


खोट तो कहानी में थी

मगर, तोहमत

कलाकारों पर

लगाता रहा।


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