नारी तू नारायणी
नारी तू नारायणी
तू है नारायणी, नाम हैं तेरे अनेक।
सदियों से तू शक्ति है, यही मेरा विवेक।।
नारी तू कात्यायनी, नवदुर्गा के हैं स्वरूप।
जाने कितने रूप हैं, तभी तो तू है अरूप।।
बिन तेरे कोई जने नहीं, जननी तू है कहाए।
बिन तेरे अब तो कहो , कौन जन्म ले पाए।।
मातृ रूपा माॅं है तू, लिए वात्सल्य का है भाव।
बच्चों की आश है तुम, नहीं रहते कोई अभाव।।
