नमन।
नमन।
मात वात्सल्य सदा है बहता,
दुनिया जिसको जगजननी कहता,
सारे पाप उसके धुल जाते,
नित माता की जो सेवा करता।।
चरण धूल जो माथे मलता,
बिन मांगे सब कुछ है मिलता,
शब्द मात की महिमा निराली,
वेद-पुराण यही है कहता।।
मात-प्रेम जिसके हैं मन में,
वो मन मंदिर है बन जाता,
कभी नहीं मां दु:ख है देती,
जन्म-जन्म का एसा है नाता।।
ध्यान सदा सुख-दु:ख का रखती,
उफ कभी वह नहीं करती,
जिसमें कुछ सामर्थ नहीं,
उसको भी मां समरथ कर देती।।
सर्वस्व अपना निछावर है करती,
सदा सबके संकट है हरती,
श्रृणी सदा यह जीवन उसका,
पतित पावन है भारत की धरती।।
जो साधना मां की है करता,
उसकी सधती ज्ञान की डोरी,
याद सदा उसको है रहती,
गा के सुनाती जैसे मां लोरी।।
मात शब्द को जो इज्जत देता,
भयमुक्त सदा हुए है रहता,
"नीरज" नमन हर मां को करता,
लीन सदा मां में ही रहता।।