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Hardik Mahajan Hardik

Abstract

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Hardik Mahajan Hardik

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कायर है वो

कायर है वो

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कायर है वो कायर रहेगा

छिपकर करता वार वो

बुजदिल कहलायेगा 

बेज़ुबानों को मार रहा

निर्दोषो की जाँ ले रहा


अस्मत लूटी है उस देश

में वो कायर जंजाल

बिछा रहा सेना क्या

इंसान भी अब लाचार 

नज़र आ रहा


बम बारूद मिसाइलों 

का उसने षड्यंत्र रचा

अस्मिता लूटी है उस

देश में वो कायर 

बेख़ौफ़ नज़र आ रहा।


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